Thursday, November 13, 2008

मणिरत्नमाला

मणिरत्नमाला
संसार में परवशता है। बंधन है। संसारी मनुष्य को विवश होकर दुःख भेगना पड़ता है। इस स्थिति से छुटकारे का नाम मोक्ष है। मुक्त पुरुष के लिए न संसार है और न उससे उत्पन्न होने वाले सुख-दुःख हैं। मुक्ति का सीध सम्बन्ध आत्मज्ञान से है। श्रुतिमत के अनुसार आत्मज्ञान के बिना अन्य किसी प्रकार से मुक्ति प्राप्त नहीं होती है। कोई व्यक्ति समस्त आकाश को मृगचर्म की भांति लपेट कर अपनी बगल में दबा लेने में भले ही समर्थ हो जाये, ऐसा असम्भव कार्य भी कर ले तो भी आत्मज्ञान के बिना मुक्ति नहीं प्राप्त हो सकती। --------शेष भाग

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